Ramsnehi Sampraday

Author name: Editorial Team

दषम आचार्य श्री जगरामदास जी महाराज

दषम आचार्य श्री जगरामदास जी महाराज आपका जन्म ग्राम इंद्राली जि. बाडमेर राजस्थान के राजपूत परिवार में भादवा सुद 4 सं. 1907 में हुआ। गृहस्थाश्रम में आपका मन कभी नहीं लगा। आपको एकान्तवास अधिक पसन्द था। फाल्गुण बुद 7 वि.संवत 1934 में आपने बालोतरा के साध श्री विनतीदासजी महाराज से दीक्षा ग्रहण की। आप अधिकतर …

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नवम आचार्य श्री दयाराम जी महाराज

नवम आचार्य श्री दयाराम जी महाराज आपका जन्म बाघथला मेवाड के राजपूत परिवार में वि.सं. 1918 में हुआ था। बचपन से ही आपका मन सांसारिकता में नहीं लगा। आप प्रायः चिन्तन मुद्रा में रहते थे। फलस्वरूप 11 वर्ष की अवस्था में ही वि. संवत 1929 में आपने दीक्षा ग्रहण करली। महाराज श्री गंगादास जी षिष्य …

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अष्टम आचार्य श्री धर्मदास जी महाराज

अष्टम आचार्य श्री धर्मदास जी महाराज आपका जन्म कार्तिक बुद 12 सं. 1906 में पलई ग्राम जिला टोंक के एक खण्डेलवाल मेहता परिवार में हुआ था। बचपन से ही आपकी वृति वैराग्य की ओर थी। सं. 1918 में, बारह वर्ष की अवस्था में ही आपने करौली के साध श्री राम गोविन्द जी से दीक्षा ग्रहण …

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सप्तम् आचार्य श्री दिलषुद्धराम जी महाराज

सप्तम् आचार्य श्री दिलषुद्धराम जी महाराज आपका जन्म सं. 1910 में ग्राम अभयपुर में एक राजपूत परिवार मेें हुआ था। संवत 1915 में केवल पांच वर्ष की अवस्था में ही आपने वैराग्य धारण कर लिया था। ग्राम बिसन्या के स्वामी रामदासजी म. के षिष्य साध श्री रतनदास जी के पास आपने दीक्षा ग्रहण की एवं …

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षष्ठ्म आचार्य श्री हिम्मतराम जी महाराज

षष्ठ्म आचार्य श्री हिम्मतराम जी महाराज आपका जन्म शेखावाटी के धानणी ग्राम में, आसोज बुद 14 सं. 1883 को मारू चारण जाति में हुआ था। आपने सं. 1907 में श्री वीतराग स्वामी जी के षिष्य साध श्री सुखरामदास मुनि जी से दीक्षा ग्रहण कर वैराग्य धारण किया। आप जब बालक थे तभी आपके पिताजी का …

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पंचम आचार्य श्री हरिदास जी महाराज

पंचम आचार्य श्री हरिदास जी महाराज आपका जन्म सं. 1860 में ग्राम आगूंचा में दाहिमा ब्राहम्ण कुल में हुआ। बचपन में ही आप में वैराग्य भावना उत्पन्न हो गई। फलस्वरूप आप शाहपुरा आये। उस समय श्री दूल्हैरामजी महाराज गादीधर थे। आपने आचार्य श्री से दीक्षा देने हेतु प्रार्थना की। इस पर आचार्य श्री ने कहा …

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चतुर्थ आचार्य श्री नारायणदास जी महाराज

चतुर्थ आचार्य श्री नारायणदास जी महाराज आपका जन्म सं. 1853 में भूंडेल ग्राम में एक राजपूत परिवार में हुआ। बचपन से ही आपका मन गृहस्थी में नहीं लगा। बल्कि आप ईष्वर भजन की ओर उन्मुख रहे। फलस्वरूप 1860 में केवल 7 वर्ष की अवस्था में वैराग्य धारण कर लिया। आप श्री भूधरदास जी महाराज के …

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तृतीय आचार्य श्री चत्रदास जी महाराज

तृतीय आचार्य श्री चत्रदास जी महाराज आपका जन्म वि.सं. 1809 में ग्राम आलोरी जाति काछोला चारण में हुआ। आप वि.सं. 1821 में 12 वर्ष की अवस्था में महाराज श्री रामचरण जी के षिष्य बने। आप उच्च कोटि के भक्त थे एवं हर समय नाम स्मरण में लीन रहते थे। आपने अनुभव वाणी की रचना की …

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द्वितीय आचार्य श्री दूल्हेरामजी महाराज

द्वितीय आचार्य श्री दूल्हेरामजी महाराज जयपुर नरेष श्री माधवसिंह जी के दीवान श्री हरिगोविन्द जी खण्डेलवाल वैष्य, गौत्र नाटानी की सुपुत्र के साथ हुआ। समय पाकर जेष्ठ सुदी 11 सं. 1813 में उनके एक पुत्र हुआ जिसका नाम दल्लाजी रखा। धीरे धीरे आप बडे हुए, पढ लिख कर योग्य बने एवं व्यापार करने लगे। एक …

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वीतराग स्वामी जी श्री रामजन्न जी महाराज

वीतराग स्वामी जी श्री रामजन्न जी महाराज श्री रामजन्न जी महाराज का जन्म स. 1801 में सरस्या ग्राम के एक माहेष्वरी लड्डा परिवार में हुआ। सं. 1824 में आपने भीलवाडा में वैराग्य धारण किया। आपको वाणी में ऐसा संकेत मिलता हैः- मुलक जहां मेवाड है, पुर भीलवाडो जान। रामचरण प्रगट भये, पूरण ब्रह्मा प्रमाण।।                                     …

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Swami Ramcharan ji Maharaj Jeevan Parichay

            स्वामी जी श्री रामचरण जी महाराज निर्गुण भक्ति चहुं दिषि नहीं, नहीं राम का जाप। जिनकूं परगट करन कूं, आये आपों आप।। अर्जुन को उपदेष देते हुए गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है –             परित्राणाय साधूनां,                          विनाषाय च दुष्कृताम्।                 धर्मसंस्थपनार्थाय, संभवामी युगे युगे।। अर्थात् सज्जनों की रक्षा करने के …

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श्री चत्रदास जी महाराज की आरती

श्री चत्रदास जी महाराज की आरती ऐसी आरती करो मन भाई, गुरू गोविन्द में सब सध जाई।।टेर।। गुरू मूरति सूरति पहिचानी, यह आरती निर्दोष करानी।।1।। रमताराम अमूरति स्वामी, सब घट व्यापक अन्र्तयामी।।2।। नाम रूप यह आरती कीजै, चत्रदास भव संकट छीजै।।3।।

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श्री दर्शनरामजी महाराज की आरती

श्री दर्शनरामजी महाराज की आरती आरती राम गुरू की कीजै,  जनम मरण भव बंधन छीजे।।टेर।। राम राम रट भाव बधावे,  सबही ते निर्वर रहावे।।1।। दया शील सन्तोष विचारो, पर उपकार धारना धारो।।2।। भगवत सन्त रूप इक जानो, तास वचन निष्चय कर मानो।।3।। इस विध आरती आतुर कीजे, दर्षनराम भव बन्धन छीजे।।4।।

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श्री दयारामजी महाराज की आरती

श्री दयारामजी महाराज की आरती आरती राम निरंजन थारी, किया होय जग जीव सुख्यारी।।टेर।। प्रथम जीव गुरू शरणे आवे, राम निरंजन रसना गावे।।1।। गुरू उपदेष राम परतापा, मिटे सकल भव भय सन्तापा।।2।। तबही जीव सुखिया होई जावे, जनम मरण सब रोग बिलावे।।3।। आरती राम गुरां की करी है, दयाराम तन फेर न धरि है।।4।।

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श्री धर्मदासजी महाराज की आरती

श्री धर्मदासजी महाराज की आरती आरती अलख पुरूष की कीजै, तनम न लाय चरण चित दीजे।।टेर।। अलख होय सो दृष्टि न आवे, बिन देख्यां कैसे मन लावे।।1।। सत गुरू शरण जीव जब जावे, ज्ञान, पाय अज्ञान मिटावे।।2।। आतम ज्ञान उदय होई आई, पावे अलख पुरूष घट मांई।।3।। अलख नाम सोही राम कहावे, षिव सनकादिक तांकू …

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