Ramsnehi Sampraday

Swami Ramcharan ji Maharaj Aarti

श्री रामचरण जी महाराज की आरती-2

ramsnehi-aarti sangrah

आरती अलख अमर अविनासी, पूरण ब्रह्म सकल सुखराषी।।टैर।।

रमताराम सुरति के स्वामी, अलह अमूरत अंतर यामी।।1।।

सूरति मूरति आदि न अन्ता, सब से निरवृत सब वर्तन्ता।।2।।

चवदह तीन लोक पति साई, सप्तद्वीप नव खंड दुहाई।।3।।

वार पार कहुं थाह न आवै, सुमिर सुमिर जन मांहि समावै।।4।।

अैसा साहिब खाविंद मेरा, रामचरण चरणों का चेरा।।5।।

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