Ramsnehi Sampraday

श्री रामचरण जी महाराज की आरती-3

श्री रामचरण जी महाराज की आरती-3

ramsnehi-aarti sangrah

आरती अचल पुरूष अविनाषी, घट घट व्यापिक सकल प्रकाषी।।टेर।।

प्रथम आरती मन्दिर बुहारिया, राम रट करम निवारिया।।1।।

दूसरी आरती दीपक जोया, ह्रदय प्रेम चांदणा होया।।2।।

तीसरी आरती कुम्भ भराया, नाभि कमल से गिगन चढाया।।3।।

चैथी आरती चैक बिराजे, जहां अनहद का बाजा बाजे।।4।।

पांचवी आरती पूरण कामा, सुरति परषिया केवल रामा।।5।।

सेवक स्वामी भया है समाना, राम ही राम और नहीं आना।।6।।

रामचरण एैसी आरती कीजै, परस अमर वर जुग जुग जीजे।।7।।

Scroll to Top
Ramsnehi Sampraday

FREE
VIEW