
श्री दर्शनरामजी महाराज की आरती
आरती राम गुरू की कीजै,
जनम मरण भव बंधन छीजे।।टेर।।
राम राम रट भाव बधावे,
सबही ते निर्वर रहावे।।1।।
दया शील सन्तोष विचारो,
पर उपकार धारना धारो।।2।।
भगवत सन्त रूप इक जानो,
तास वचन निष्चय कर मानो।।3।।
इस विध आरती आतुर कीजे,
दर्षनराम भव बन्धन छीजे।।4।।