Ramsnehi Sampraday

श्री दयारामजी महाराज की आरती

श्री दयारामजी महाराज की आरती

ramsnehi-aarti sangrah

आरती राम निरंजन थारी,

किया होय जग जीव सुख्यारी।।टेर।।

प्रथम जीव गुरू शरणे आवे,

राम निरंजन रसना गावे।।1।।

गुरू उपदेष राम परतापा,

मिटे सकल भव भय सन्तापा।।2।।

तबही जीव सुखिया होई जावे,

जनम मरण सब रोग बिलावे।।3।।

आरती राम गुरां की करी है,

दयाराम तन फेर न धरि है।।4।।

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